pyar ka dard
छिपाये भी ना छिपा सकती थी जो भाई को देख कर दर्द अपना
वो आज बड़े से बड़ा दर्द छिपाने लगी है
रो देती थी जो छोटी सी चोट पर भाई को देख कर
वो आज अकेले में तकिए से मुँह छुपा कर रोना सिख गई...
वो आज बड़े से बड़ा दर्द छिपाने लगी है
रो देती थी जो छोटी सी चोट पर भाई को देख कर
वो आज अकेले में तकिए से मुँह छुपा कर रोना सिख गई...