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दबे पांव चांद
#MoonlitMagic
हर शाम दबे पांव
जब चांद आसमान में आता है
ठंडी ठंडी सी बयारें
जब मेरे आंचल को लहराती हैं
तब हवाओं के ये झोंके
मेरे कानो में फुसफुसाकर कहती है
परदेश में बैठे हैं जो
हम उनको छू के आए हैं
तुम्हारे लिए उनके एहसास
उनकी खुशबू अपने साथ लिए आए हैं
और मैं हौले से मुस्कुराकर
थोड़ी सी शरमा कर
महसूस करती हूं
उन्हें अपने बेहद करीब ही.....
© अपेक्षा
हर शाम दबे पांव
जब चांद आसमान में आता है
ठंडी ठंडी सी बयारें
जब मेरे आंचल को लहराती हैं
तब हवाओं के ये झोंके
मेरे कानो में फुसफुसाकर कहती है
परदेश में बैठे हैं जो
हम उनको छू के आए हैं
तुम्हारे लिए उनके एहसास
उनकी खुशबू अपने साथ लिए आए हैं
और मैं हौले से मुस्कुराकर
थोड़ी सी शरमा कर
महसूस करती हूं
उन्हें अपने बेहद करीब ही.....
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