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ज़िद
मौत से लड़ कर अपने सपने को देखना है ज़िद
दुनिया चाहे माने या न माने तुम यकीन करो वो ज़िद।।
सांसे चाहे रुक ही जाए कदम लड़खड़ा जाए
कलम न रुके कभी वो ज़िद
तस्वीर चाहे बदल जाये नए दौर का रंग लगे
बूंदे तुम्हारी आंसुओ की समुन्दर को रोकने पे मजबूर कर दे वो ज़िद।।
आग सी तपती हुई सूरज जैसे तेज रोशनी में
बर्फ का जमाना जैसे हो ज़िद
लाख मुसीबते चूमते तुम्हारे कदम पर्वत मंजिल पे चढ़ कर परचम लहराना वो ज़िद।।
© All Rights Reserved
दुनिया चाहे माने या न माने तुम यकीन करो वो ज़िद।।
सांसे चाहे रुक ही जाए कदम लड़खड़ा जाए
कलम न रुके कभी वो ज़िद
तस्वीर चाहे बदल जाये नए दौर का रंग लगे
बूंदे तुम्हारी आंसुओ की समुन्दर को रोकने पे मजबूर कर दे वो ज़िद।।
आग सी तपती हुई सूरज जैसे तेज रोशनी में
बर्फ का जमाना जैसे हो ज़िद
लाख मुसीबते चूमते तुम्हारे कदम पर्वत मंजिल पे चढ़ कर परचम लहराना वो ज़िद।।
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