बचपन
नन्हे सपनों में एक उंगली थामे हुए
चल पढ़ते थे किसी की भी कंधों पर टैग ते हुए
कभी एक छोटी मुस्कान सबको हंसती थी
कभी रोने की आवाज सबको रुला ती।
खेल खिलौनों में हम इतने गुल मिल जाते थे
की वह हमारी पूरी दुनिया बन जाती थी
बड़ों के बड़बोले पन को समझना...
चल पढ़ते थे किसी की भी कंधों पर टैग ते हुए
कभी एक छोटी मुस्कान सबको हंसती थी
कभी रोने की आवाज सबको रुला ती।
खेल खिलौनों में हम इतने गुल मिल जाते थे
की वह हमारी पूरी दुनिया बन जाती थी
बड़ों के बड़बोले पन को समझना...