मुकम्मल कुछ नही है
iउसे चाहा तो ये लगा मोहब्बत ही सब कुछ है
पर जब उसे परखा तो जाना मोहब्बत कुछ नहीं है
जिसे छोड़कर जाना हो वो फिर छोड़ जाता है
जो लम्हा मिल गया जी लो, रियाज़त कुछ नहीं है
थके हारे मुसाफ़िर भी बार- बार चले मंजिल की ओर
पर...
पर जब उसे परखा तो जाना मोहब्बत कुछ नहीं है
जिसे छोड़कर जाना हो वो फिर छोड़ जाता है
जो लम्हा मिल गया जी लो, रियाज़त कुछ नहीं है
थके हारे मुसाफ़िर भी बार- बार चले मंजिल की ओर
पर...