...

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कड़वा है पर सच है ।
पता नहीं आजकल के बच्चों को किस ज़माने की हवा लग गई ।
मां , बाप को छोड़कर फोन को अहमियत मिल गई ।
फोन में गेम खेलने के लिए हो गई बिल्कुल फ्री।
लेकिन मां , बाप से बात करने के लिए हो गई बीजी।
पता नहीं आजकल के बच्चों को किस ज़माने की हवा लगी ।
दुनिया की इस भीड़ मे वो इतने आगे चले गए।
पीछे मुड़कर देखा नहीं । मां बाप को अपने। भूल गए ।
अरे इस कलयुग में सच्चाई के साथ जीना है।
मां बाप तो एक खेलोना है । फोन के साथ तो हमे जीना है ।
मानो ना मानो कड़वा है पर सच है ।