#वो_दस_दिन......#कल्पना_में_मैं
बढ़ गया आज फिर ज़रा जायका मेरे चाय का...!!
हाथों में ली प्याली और आ गया ख्याल आपका..!!
प्याली में चाय, चाय में तेरी सूरत नज़र आने लगी..!!
आंखों में मोहब्बत लिए एक ख़्वाब मैं सजाने लगी..!!
मुमकिन नहीं अपना मिलना मैं वाकिफ़ हूँ इस बात से..!
पर क्या करूं हर बार मैं हार जाती हूँ मेरे ही ज़ज़्बात से..!!
बेसुध हो गिर पडूँ ज़मीन पर संग मेरे कुछ ऐसा हो आए..!
फिर न आये होश चाहे कोई कितना भी मुझे जगाए..!!
लें जाएं तुरन्त हॉस्पिटल मुझे, घर में सब होकर परेशान..!!
पढ़कर रिपोर्ट डॉक्टर कहे नेहा है 20 दिन की महेमान..!!
10 दिन खुशी खुशी अपने परिवार के साथ जीये जाऊं..!
रोज़ रात मैं घुट घुट कर खुद अपने आँसू पीये जाऊं..!!
जब बचे हो मेरी ज़िन्दगी में और दिन केवल दस..!!
कहूँ...