आवाज़ का जादू
वह चला जा रहा देखो, हाथी-सी मस्ती में
न रहा ये प्रचंड साहस, किसी को बस्ती में
जीवन की पगडण्डी पे सुर-पहिया चलाये जा रहा
पराशक्ति का रसपूर्ण ध्यान नाद गाये जा रहा
हों स्तब्ध देख लें जो, यह ऊर्जा स्वर्णिम रेखा
मातृशक्ति धरा की गोद में यह मनचाहा लेखा
सहर्ष भावों की अविरल धारा बहती जाती है
भाईचारे की शीतल लौ समस्त द्वेष जलाती है
हुए वशीकृत अनुपम दृश्य से मर्त्य नर नारी
सांसारिक मोह माया पर प्रेम तेज पड़ा भारी
निस्संदेह हो भविष्य पर सदा रहा विश्वास
परन्तु न रखी कभी तनिक भर भी आस
भोले-भाले चेहरे पर उदासीनता खिली है
हँसकर कष्ट उठाने की सदा दीक्षा मिली है
देवों को भी अपेक्षित नहीं यह मनुष्य-राम
करी मंत्रणा लगाएँ अंकुश, इस यात्रा परमधाम
जीवन में आ गयी है महाप्रलय की बेला
प्रभु ने आत्मा की कठपुतली से खेल खेला
परमपिता के सौजन्य से धरा पे आयीं मीनाक्षी
चहुँओर अनेक मनुष्य होंगे इस वृतांत के साक्षी
एक दिवस...
न रहा ये प्रचंड साहस, किसी को बस्ती में
जीवन की पगडण्डी पे सुर-पहिया चलाये जा रहा
पराशक्ति का रसपूर्ण ध्यान नाद गाये जा रहा
हों स्तब्ध देख लें जो, यह ऊर्जा स्वर्णिम रेखा
मातृशक्ति धरा की गोद में यह मनचाहा लेखा
सहर्ष भावों की अविरल धारा बहती जाती है
भाईचारे की शीतल लौ समस्त द्वेष जलाती है
हुए वशीकृत अनुपम दृश्य से मर्त्य नर नारी
सांसारिक मोह माया पर प्रेम तेज पड़ा भारी
निस्संदेह हो भविष्य पर सदा रहा विश्वास
परन्तु न रखी कभी तनिक भर भी आस
भोले-भाले चेहरे पर उदासीनता खिली है
हँसकर कष्ट उठाने की सदा दीक्षा मिली है
देवों को भी अपेक्षित नहीं यह मनुष्य-राम
करी मंत्रणा लगाएँ अंकुश, इस यात्रा परमधाम
जीवन में आ गयी है महाप्रलय की बेला
प्रभु ने आत्मा की कठपुतली से खेल खेला
परमपिता के सौजन्य से धरा पे आयीं मीनाक्षी
चहुँओर अनेक मनुष्य होंगे इस वृतांत के साक्षी
एक दिवस...