...

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आवाज़ का जादू
वह चला जा रहा देखो, हाथी-सी मस्ती में
न रहा ये प्रचंड साहस, किसी को बस्ती में
जीवन की पगडण्डी पे सुर-पहिया चलाये जा रहा
पराशक्ति का रसपूर्ण ध्यान नाद गाये जा रहा
हों स्तब्ध देख लें जो, यह ऊर्जा स्वर्णिम रेखा
मातृशक्ति धरा की गोद में यह मनचाहा लेखा
सहर्ष भावों की अविरल धारा बहती जाती है
भाईचारे की शीतल लौ समस्त द्वेष जलाती है
हुए वशीकृत अनुपम दृश्य से मर्त्य नर नारी
सांसारिक मोह माया पर प्रेम तेज पड़ा भारी


निस्संदेह हो भविष्य पर सदा रहा विश्वास
परन्तु न रखी कभी तनिक भर भी आस
भोले-भाले चेहरे पर उदासीनता खिली है
हँसकर कष्ट उठाने की सदा दीक्षा मिली है
देवों को भी अपेक्षित नहीं यह मनुष्य-राम
करी मंत्रणा लगाएँ अंकुश, इस यात्रा परमधाम
जीवन में आ गयी है महाप्रलय की बेला
प्रभु ने आत्मा की कठपुतली से खेल खेला
परमपिता के सौजन्य से धरा पे आयीं मीनाक्षी
चहुँओर अनेक मनुष्य होंगे इस वृतांत के साक्षी


एक दिवस बुला लिया दूरभाष की तरंगों ने
कुटिल योजना बनायीं थी इंद्रधनुष के रंगों ने
अविस्मरणीय ध्वनि उसके कानों में गूँजी
जैसे लुटा रहे हों विष्णु तीनों लोकों की पूँजी
अकस्मात् श्रवण हुई आवाज़ ने किया मोहित
मृदु स्वर के मधु से मदमस्त हुआ शोणित
कर्णों के रास्ते मीठा अमृत टपकता जा रहा
सागर समान ह्रदय कलश भी भरता जा रहा
अब डगमगाते कदमों से बेखुदी में खो रहा है
बसंत की पहली फुहार में बंदगी बो रहा है


वाणी जैसे घुटी हुई हो सूरदास की भक्ति
आभा जैसे चमक रही मीरा की प्रेम-शक्ति
लज्जा छुपी शरारत करते बिहारी लाल के दोहे
नयनों के चपलता से राधिका श्याम मन मोहे
वृन्दावन में मल्हार गा रहे हरिदास का सुख
कबीर की अक्षय महाचेतना की ओर उन्मुख
व्यवहार से प्रत्याशित होता रहीम सरीखा ज्ञान
ब्रज गोकुल उद्देश्य रहे ज्यों रसखान के ध्यान
शुकदेव दिए परीक्षित को भागवत का उपदेश
असंख्य रूप में बतला रहे कृष्ण गीता का सन्देश


सुना है कि वो स्वयं आएँगी आँगन में मिलने
फैली हवा में खुशबू, कलियाँ लगीं खिलने
शुभ अवसर मानाने हेतु मिष्ठान बाँट रही हैं
आखिर क्यों उसके भवसागर को पाट रही हैं
व्याकुलता से बढ़ी धड़कन कुछ कहना चाहती हैं
उनके आने पे थम कर, क्यों संकुचाई जाती हैं
शब्द नहीं निकले, केवल सोम सुरापान किया
उनकी पवित्र सच्चाई का, क्षण-क्षण मान किया
न जाने इस स्वरपाश से कभी मुक्त हो पायेगा,
या निश्छल प्रेम की पराकाष्ठा पार कर जायेगा ?


© AbhinavUpadhyayPoet