मैं क्या करूँ?
दिल न लगे किनारे, तो मैं क्या करूँ?
मझधारे झंझा पुकारे, तो मैं क्या करूँ?
मुशाबह-ए संग तुझे; मैं न कभी मानूँ!
फिर तू वही रूप धरे, तो मैं क्या करूँ?
...
मझधारे झंझा पुकारे, तो मैं क्या करूँ?
मुशाबह-ए संग तुझे; मैं न कभी मानूँ!
फिर तू वही रूप धरे, तो मैं क्या करूँ?
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