...

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गंगा
गंगा

गंगा के घाट पर , गंगा के ललाट पर,
चिंतन में गुम हुई, एकांत में बैठी रही

दूषण से कृत्य कर,विषधारि वेशधर
मन में विलाप कर, अश्रु बहा रही!!


© जितेन्द्र कुमार 'सरकार'