...

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ख़ैरियत
सुना,
ख़ैरियत तो हो न
इश्क़ में दगा करके
आज भी हमे दग़ाबाज़ ठैहराती तो हो न
याद हमे भूल से कर जो लिया हमे तुमने
लोगों में शामिल कही हम तो नही
आखिर पता लगाती हो न

जख्म बड़े गहरे दिए थे तुमने
पायाब है अब कुछ,
दिल तो तुम्हारे पास भी है
टुट न जाये डरती तो हो न
याद करोगी उस रोज हमें
जब होगा अफसोस कभी तुम्हें
की वापस भी आना चाहो
तो कोई राह हम तक तुम्हें नसीब हो ही न
बस बता दो, ख़ैरियत तो हो न .....

© ll_alfaaz_ll