...

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Khyalon Mein Uljhe........
ऐसे शीशे में देखकर क्यों मुस्कुरा रहे हो?
कोई बात है तो क्यों नहीं बता रहे हो?
तुम्हारे चेहरे की झूठी हंसी कुछ बयां कर रही है,
उस राज़ को अंदर क्यों दबा रहे हो?

अभी भी उन बातों पर ही अटके हो,
उन जख्मों में मरहम भी नहीं लगाया!
लोग हैं,आते जाते रहते हैं
क्या ये तुम्हें किसी ने नहीं बताया?

चलो एक शेर सुनोगे?..... अरे बताओ?
तुम्हारे मन की आवाज हूं क्या मुझसे भी बात नहीं करोगे? ?
अच्छा चलो अब सुन ही लो....
शायद तुम मुझे याद करोगे!!!!.... करोगे ना?

अर्ज़ किया है.....
मैं फूलों की राह पर उन कांटों से भी मिल आया हूं,
अपनी शायरी के साथ उन जज्ब़ातों से भी मिल‌ आया हूं,
मेरी जीत के रास्ते में बहुत अड़चनें थी जिससे मुझे वो नसीब नहीं हो सकी...
पर उस खुद़ा की मेहरबानी तो देख....क्योंकि
हार के आया हूं पर ज़लील होकर नहीं आया हूं!!!

© Ishh...