शीर्षक: मैं प्रयागराज हूँ।
शीर्षक: मैं प्रयागराज हूँ
कभी दबा-कुचला इलाहाबाद था मैं,
इतिहास के पन्नों में सोया पड़ा था मैं।
नाम बदला, पहचान मिली नई,
आज फिर से अपनी शान बढ़ा रहा हूँ मैं।
गंगा-यमुना की गोद में पला,
सरस्वती की धारा में निखरा हूँ मैं।
तीनों धाराओं का...
कभी दबा-कुचला इलाहाबाद था मैं,
इतिहास के पन्नों में सोया पड़ा था मैं।
नाम बदला, पहचान मिली नई,
आज फिर से अपनी शान बढ़ा रहा हूँ मैं।
गंगा-यमुना की गोद में पला,
सरस्वती की धारा में निखरा हूँ मैं।
तीनों धाराओं का...