...

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बेचैनियां
मन में दफ़न है कई राज,उसे बयां नहीं कर पाते है,
बेचैनियां बढ़ती जाती, पर डर से छुपाए रखते है!

इस जहां में कोई अपना नहीं जिस पर विश्वास करे,
दिल पे जो गहरे ज़ख्म है उसे बेफिक्र से सुनाए है!

हर रिश्ते के अंदर दोहरे चरित्र का चोर घात लगाए,
बैठा है, मौका मिलते ही करते बुज़दिल सा वार है!

कोरे कागज़ पर लिख अरमान,हर बार फाड़ देते है,
कर लेते है तसल्ली दुनियाँ की यही रीत पुरानी है!

हर कदम पर हमें ही देनी पड़ती अग्नि परीक्षा तो,
क्यों झूठेविश्वाससम्मानकादिखावा करता इंसान है!

आँसू से भरे स्याह के कलम से,ज़िन्दगी के पन्नो,
को खट्टी, मिट्ठी यादों के शब्दो से सजाते है!

© Paswan@girl