...

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*Aankhen zamaane ki*
बातें कई हमारी है
रातें जो अनजानी है
इन बातों के बीच में
आंखें कई दीवानी है ।

राह चले दिन ढलते गए
लोग सभी जो खिलते रहे
लिवाज सभी के अलग से थे
दिल फिर भी मिलते रहे ।

एक जलसा जो चलता गया
मेला सा बनता गया
दूर कहीं किसी कोने में
ये देख ज़माना जलता गया ।

दर्द भी बांटे गए
जब संग सब आते गए
कैद में गमों की
खुशियों के उजाले छाते गये ।
© Anadi