...

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आस्तान पर उनके आसमान दस्तक देता है..
उनकी आंखों से खुलते हैं सवेरों के उफ़ुक़
आस्तान पर उनके आसमान दस्तक देता है..
उनके अक्स से ही खिल-खिलाती हैं दोपहरें...