...

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"पल भर के मेहमान"
होके रुसवा मोहब्बत में तेरे,
ना जाने कितना और बदनाम होंगे,
करोगे याद हमें तुम भी,
जब हम पल भर के मेहमान होंगे।

संभालो कदमों को अपने,
गोद लेने वाले ज़हर समान होंगे,
वक़्त आने में सब रंग बदल लेंगे,
जब हम पल भर के मेहमान होंगे।

कुचलकर मेरी मोहब्बत सरेआम,
क्या आप नही नीलाम होंगे,
अपने ही निगाहों में गिर जाओगे तुम,
जब हम पल भर के मेहमान होंगे।

गद्दारी की उम्मीद नही थी तुमसे,
वफादारी का क्या तुम इनाम दोगे,
लूट कर मेरे वजूद को रोओगे,
जब हम पल भर के मेहमान होंगे।

जो मिला उसकी कद्र नही तुम्हें,
चार लोगों से क्या जिंदगी थाम लोगे,
खुदखुशी करने को मजबूर हो जाओगे,
जब हम पल भर के मेहमान होंगे।


© RamKumarSingh(राम्या)