...

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कुछ समझ नहीं आता
कुछ समझ नहीं आता
खुद को में यकीन दिलवाऊं कैसे
उस कमबख्त को भूल जाऊं तो जाऊं कैसे

वोह मेरा दोस्त मेरा यार मेरा प्यार सब कुछ था
अब मुझसे बात नहीं करता मैं उसे मनाऊं तो मनाऊं कैसे

किसी के कहने पर उसने मेरा साथ छोड़ा
मैं उसको अब दिल की बात बताऊं तो बताऊं कैसे

वोह जब भी लिखता है तो अपना फैसला लिखता है
मैं उसके आगे आपनी अर्जी लगाऊं तो लगाऊं कैसे

अब तो कयामत भी यह है के
उसी की अदालत उसी के जज वकील गवाह भी सब उसीके
अब मैं बेकसूर हूं यह साबीत कराऊं तो कराऊं कैसे

जमाने लग जाए उस तक पहुंचने के लिए तो कोई गम नहीं ए दोस्त
मसला तो यह है के वोह एक जगह ठेहरता नहीं और में रास्ता बनाऊं तो बनाऊं कैसे