...

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बहना
बहन वहन करे सारी बाधा,
कभी वो सीता कभी वो राधा,
कैसे कहूँ उसका हिस्सा है आधा,
एक वही तो है जिसने घर को है बाँधा,
सबको खिलाकर खाती थी,
छोटी सी थी,
फिर भी सारे घर की माँ कहलाती थी,
कई बार हमारी मुश्किलें,
उसके इशारों से छूमंतर हो जाती थी,
दोस्त वो इतनी पक्की,
हर बात हज़म कर जाता थी,
सारा दिन भूखी रहती,
जब भी आती राखी थी,
क्यों देते हैं विदाई दुनियावाले,
बहना क्यों पराए घर जाती है।
© drajaysharma_yayaver