नाम
हर वो नामी चेहरा,
कहीं गलियों के अंधेरे में गुमनाम था।
हर वह शोहरत के आज मैं,
पहले कभी वह भी तो पैसे का मारा मारा फिरता था।
भटकता था कभी वह भी,
अस्तित्व की खोज में,
पहले से नाम ऐसा नसीब सबका कहां होता था।
पहचान कभी दूसरों से मिला करती थी,
आज खुद के ही नाम पर पूरा जहां आंखें बिछाए जो बैठा था।
Anjali Joshi
@quotes_lover1023
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© quotes_lover1023
कहीं गलियों के अंधेरे में गुमनाम था।
हर वह शोहरत के आज मैं,
पहले कभी वह भी तो पैसे का मारा मारा फिरता था।
भटकता था कभी वह भी,
अस्तित्व की खोज में,
पहले से नाम ऐसा नसीब सबका कहां होता था।
पहचान कभी दूसरों से मिला करती थी,
आज खुद के ही नाम पर पूरा जहां आंखें बिछाए जो बैठा था।
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