दर्द ए दिल
रात काली खंजर सी हैं
मरहम सी सजी सुबह सुहानी
सोचती हूं जिसके बारे में
उसकी यादों में डूबी हैं मेरी पुरी...
मरहम सी सजी सुबह सुहानी
सोचती हूं जिसके बारे में
उसकी यादों में डूबी हैं मेरी पुरी...