दर्द और ख्वाहिशे
कुछ यूँ बेगाने हुए हम, उनकी नज़रो के तले
रफ्ता-रफ्ता ही सही,साँस भी रूकने लगे
आँखे नम होती मगर,...
रफ्ता-रफ्ता ही सही,साँस भी रूकने लगे
आँखे नम होती मगर,...