...

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बचपन
एक सुनहरी सी याद हैं किसी की
तो कुछ के लिए जिम्दारियों का बोझ हैं
जब हम मौज मस्ती करते थे
वह नन्हें कंधो पर जिमेदारिया उठाये रहते थे
जब हम बचा खाना फेंकते थे
वह भूखे पेट सोते थे
जब हम खिलोने मांगते थे
वह घर चलाने के लिए पैसे मांगते थे
उम्र का दौर तो एक ही था
फिर ये फासला जाने क्यों था