"रंगों की सौगात"
आ ही गया फ़ागुन लेकर "रंगों की सौगात"सुनहरी
रंग दे अपने हाथों सैया रंगने को बेताब है कब से गोरी
कोरे दामन अंग लपेटे कब से फिरती थी अकेली
पिचकारी छिड़क के साजन तंग चोली की कर दे डोरी
दिल के कोने में कब से समेटे रखा थी ख़्याल बहुत सारी..
चल मीत मेरी...
रंग दे अपने हाथों सैया रंगने को बेताब है कब से गोरी
कोरे दामन अंग लपेटे कब से फिरती थी अकेली
पिचकारी छिड़क के साजन तंग चोली की कर दे डोरी
दिल के कोने में कब से समेटे रखा थी ख़्याल बहुत सारी..
चल मीत मेरी...