कुछ रात
ढल गया दिन आ गई है रात
चलो चलो सपने सजाने के लिए
मौसम है तैयार.के
ढल गया है दिन आ गई है रात
चलो चलो करने चलते हैं........
सपनों की शुरुआत एक सपना...
में देखती हूं एक तू भी देख लेना..
राते लंबी कटने लगेगी तो सपने आधे
आधे बट जाएंगे...
सुना है अंधेरों में तुम्हें डर लगता है...
हमें तो भूतों से दोस्ती करनी है कैसा होगा..
हमारा रिश्ता यह रात कटी है....
सपनों में बैठी है रास्ता तेरा भी अलग है....
........ मेरा भी अलग है कोशिश करेंगे हम अगर
जरूर कामयाबी मिलेगी....
रस्ते भले ही अलग-अलग होंगे हमारे....
मगर हम कभी रास्तों को बढ़ने नहीं देंगे...
हां कोशिश करेंगे जरूर हम...
रातों को इतनी जल्दी ढलने नहीं देंगे...
तुम्हें जितने देखने हैं सपने देख लो...
सपने देखने से क्या होता है....
हकीकत में तो वही होता है...
जो खुदा ने हमारी किस्मत में लिखा होता है.
कि खुदा ने हमारी कहानी....
लिख दी...