...

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अंधकार
खाली कर गया मुझको
मनु, तेरी वो बातें सारी,
ज्ञान का समेटे ख़ुद में गागर है
चांद को चूमने की लालसा तेरी,
तू फ़िर भी खोखला
लपेटे चमड़ी, मांग रहा है दमड़ी,
झलक रही हैवानियत आंखों से
मन में तन, धन की पिपासा है भरी,
जीवन का एक अंश बीत गया रब के नाम में
इंसान अबतलक तू बन ना सका,
मर रहा कोई तेरे पड़ोस में
आंगन में तू रोटी सेक रहा,
सपनों में ही तेरी ज़िंदगी सिमट गई
मन में तू कभी जाग ना पाया,
काल मैं, तेरा हर छाया देख रहा
अंधेरों में तू सिमटा सदा ही रहा.
© LivingSpirit