...

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वक़्त की कारस्तानी
सोचती हूँ बयाँ करूँ मैं, उस शाम की कहानी
जिसके हर लम्हे में बस, तुम ही तुम समाऐ थे

मेरे हाथों में जब तुमने, अपना हाथ थमाया था
उस दिन आते ही...