...

4 views

तुम्हे क्या लगता है..❤
तुम्हे क्या लगता है..के तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नही..
गलत फहमी है तुम्हारी कुछ तो हूँ मैं गर तुम भी नही..

हाँ एक फूल हूँ मैं जिसमे तुम बिन कोई खुशबू नही है..
हाँ एक दिल हूँ मैं जिसमे तुम बिन कोई आरजू नही है..

तुम बिन भी मैं एक भँवरा हूँ,जिसमे श्याम रंग नही है..
तुम बिन भी मैं एक धुन हूँ जिसका राग संग नही है..

हाँ माना के तुम बिन हूँ नदिया सा जिसमे जल ही नही..
पर तुम्हे क्या लगता है..के तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नही..

एक मकान हूँ मैं तुम बिन,जिसमे घर सी कोई बात नही..
और भी अपने हैं तुम बिन मगर देता कोई और साथ नही..

हाँ एक रौशनदान हूँ तुम बिन जिसमे रौशनी नही है..
हाँ एक कद्रदान हूँ मैं तुम बिन जिसकी कोई कद्र नही है..

मैं हूँ एक उड़ता हुआ पंछी मगर,मेरी तुम बिन उड़ाने मुकम्मल नही..
है मुझमे इतिहास मगर,मुझे लिखना भी तुम बिन मुसलसल नही..

इस तरह से हूँ जिंदा तुम बिना,के सुख भी नही,दुःख भी नही..
सच है सनम जो तुम्हे लगता है..के तुम्हारे बिना मैं कुछ भी नही..
Insta-@lalit_shabdvanshi
© ललित श्रीवास्तव"शब्दवंशी"