फिलहाल मैं खामोश हूँ
संसार के व्यंग्य बाणों से,
दुनिया भर के तानों से,
खुद में उठता आक्रोश हूँ,
फिलहाल मैं खामोश हूँ!
समय अभी प्रतिकूल है,
मेरी ही ये भूल है,
पर मरा नहीं बेहोश हूँ,
फिलहाल मैं खामोश हूँ!
जो सोचना वो सोच लो,
घावों को मेरे नोच लो,
दिखा दो जितना ज़ोर है, मैं भी सरफरोश हूँ,
फिलहाल मैं खामोश हूँ!
थमेगा जब ये सिलसिला,
समय करेगा फैसला,
मैं दोषी या निर्दोष हूँ,
फिलहाल मैं खामोश हूँ!
© Shivaay
दुनिया भर के तानों से,
खुद में उठता आक्रोश हूँ,
फिलहाल मैं खामोश हूँ!
समय अभी प्रतिकूल है,
मेरी ही ये भूल है,
पर मरा नहीं बेहोश हूँ,
फिलहाल मैं खामोश हूँ!
जो सोचना वो सोच लो,
घावों को मेरे नोच लो,
दिखा दो जितना ज़ोर है, मैं भी सरफरोश हूँ,
फिलहाल मैं खामोश हूँ!
थमेगा जब ये सिलसिला,
समय करेगा फैसला,
मैं दोषी या निर्दोष हूँ,
फिलहाल मैं खामोश हूँ!
© Shivaay