"प्रकृति के बग़ैर"
प्रकृति के बग़ैर,
स्वीकृति न जीवन की..!
व्यथा पूछो क्या है,
मुरझाये मन की..!
कीमती हैं साँसें,
है जीवन अनमोल..!
ज़रूरत है जग को,...
स्वीकृति न जीवन की..!
व्यथा पूछो क्या है,
मुरझाये मन की..!
कीमती हैं साँसें,
है जीवन अनमोल..!
ज़रूरत है जग को,...