...

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थोड़ा-थोड़ा कर भूलते हो।
यकीन मानो तुम्हारी सबसे ज्यादा जरूरत जिसे है और जो तुम्हारी हर जरूरत को पूरा कर सकता है वो एक शख्स यही है;तुम्हारे पास ....
भले ही कर दिया हो तुमने उसे नज़रअंदाज ;
चाहे अनचाहे ही सही ...
डाट ले वो तुम्हे या कहे हर बात खरी ...
चाहे तुम सुनो या नही ...
कभी गिर जाओ तुम सबकी नजरो से चाहे गिराने वाला हो खुद वही।
फिर भी अंत में पाओगे तुम उसे खड़ा अपने साथ ही ,अपने पास ही
वो एक हाथ जो तुम्हें थाम लेगा और उठाएगा वही... वो बस होगा वही
जाने या अनजाने में कभी करते हो अपने दिल की सारी बातें उससे जो तुम किसी से शब्दों में कह सकते ही नहीं
क्योंकि जानते हो तुम उस जैसा कोई तुम्हें समझ सके ...मिलेगा ही नहीं।
चाहे भी वो तो; या शायद तुम चाहो.. मगर
यकीन मानो वो अकेला है जो मौत तक तुम्हें 'अकेला' छोड़कर जाएगा ही नहीं सुनो तो उसकी आवाज या शायद नहीं पहचानो उसकी अहमियत या शायद नहीं मगर मालूम तुम्हें भी है कि सिर्फ वही है तुम्हारा कोई और है भी नहीं ।
जो बात समझ आए तो मुस्कुरा देना
उसका होना शायद नजरअंदाज कर दिया हो तुमने वह शख्स बस यही है सुन रहा है वह अभी तुम्हें सोचता होगा तुम भी पहचान लो उसे कभी
देखो जरा नजरे उठा कर 'आइने मे' हो सके तो देख कर मुस्कुरा दो ...उस शख्स के लिए जिसने तुम्हारा साथ कभी छोड़ा ही नहीं।
सुन सको तो सुनना जो कभी सुना नहीं तुम्हारा 'जमीर 'बाते कहना चाहता है तुमसे जो तुम चाहते हो कोई कहे मगर उसकी आवाज तुम सुन पाते ही नहीं या फिर नजरअंदाज कर जाते हो यूं ही कोई अपना ढूंढने की फिक्र में क्यों भूल जाते हो तुम अक्सर खुद को ही
यकीन मानो जिसकी तुम्हें सबसे ज्यादा जरूरत है और जो शख्स तुम्हारी हर जरूरत की कीमत है एक शख्स जिसे तुम हर रोज खुद को समझा कर दरबदर ढूंढते हो
इस जद्दोजहद में कुछ यू घूमते हो
भूल जाते हो खुद को
और भूलाकर खुद को जरा सी अपनेपन की ख्वाहिश में तुम हर रोज खुद को ही थोड़ा-थोड़ा कर भूलते हो।
यकीन मानो या शायद नहीं तुम्हें किसी तुमसे की तलाश है जिसे तुम दरबदर खोजते हो भूल जाते हो क्यों इस जहां में जिसने तुमहे बनाया वो 'अपना सा' शख्स बस एक तुम ही तो हो जिसकी जरूरत हो तुम और जिसे सबसे ज्यादा जरूरतहै तुम्हारी।

© Meenakshi ___ मीशा✒️