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मैं लिख रहा हूं एक गीत ऐसा,
मैं लिख रहा हूं एक गीत ऐसा,
बिलकुल मेरे मनमीत जैसा,
दिखती हो जिसमें छवि मीरा की,
मेरे राधा कृष्ण की प्रीत जैसा,
मैं लिख रहा हूं एक गीत ऐसा,,,,,
और हो घटा घनघोर नाचें मोर,
सावन में उठती ऋतु शीत जैसा,
हो समर्पण जिसमे राम सीता सा,
हो रघुकुल की शान ओर रीत जैसा,
मैं लिख रहा हूं एक गीत ऐसा,,,,,
महके पवन और सब खिले उपवन,
मां शारदा को अर्पित पुष्प पीत जैसा,
विराजें कंठ में मां शारदा मैं धन्य हो जाऊं,
भजन गाता रहूं कोयल मधुर संगीत जैसा,
मैं लिख रहा हूं एक गीत ऐसा,,,,
बन केवट मनमुग्ध हो जाऊं, श्याम सेवा में,
भले न श्रम मिले मुझको एक बीत जैसा,
गीता का सार है महाभारत प्रमाण है,
जैसे अधर्म पे धर्म की जीत जैसा,
मैं लिख रहा हूं एक गीत ऐसा,,,,,
हां मैं लिख रहा हूं एक गीत ऐसा,,,,,,,
© #mr_unique😔😔😔👎
बिलकुल मेरे मनमीत जैसा,
दिखती हो जिसमें छवि मीरा की,
मेरे राधा कृष्ण की प्रीत जैसा,
मैं लिख रहा हूं एक गीत ऐसा,,,,,
और हो घटा घनघोर नाचें मोर,
सावन में उठती ऋतु शीत जैसा,
हो समर्पण जिसमे राम सीता सा,
हो रघुकुल की शान ओर रीत जैसा,
मैं लिख रहा हूं एक गीत ऐसा,,,,,
महके पवन और सब खिले उपवन,
मां शारदा को अर्पित पुष्प पीत जैसा,
विराजें कंठ में मां शारदा मैं धन्य हो जाऊं,
भजन गाता रहूं कोयल मधुर संगीत जैसा,
मैं लिख रहा हूं एक गीत ऐसा,,,,
बन केवट मनमुग्ध हो जाऊं, श्याम सेवा में,
भले न श्रम मिले मुझको एक बीत जैसा,
गीता का सार है महाभारत प्रमाण है,
जैसे अधर्म पे धर्म की जीत जैसा,
मैं लिख रहा हूं एक गीत ऐसा,,,,,
हां मैं लिख रहा हूं एक गीत ऐसा,,,,,,,
© #mr_unique😔😔😔👎
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