अंजाम दे,,,,,
कब तक भटकता रहूं , मेरे इश्क को कोई अंजाम दे
कर मुझे रिहा मेरी आवारगी से और कोई मुकाम दे
एक आग सी लगी है मेरे एहसासों के समंदर में
कबूल मुझे और तपिश ए ज़िस्त को...
कर मुझे रिहा मेरी आवारगी से और कोई मुकाम दे
एक आग सी लगी है मेरे एहसासों के समंदर में
कबूल मुझे और तपिश ए ज़िस्त को...