...

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तलाश
1
मे तलाश मे हू उस प्रेम की
जिसमे कोई बंधन ना हो

मे तलाश मे हू उस प्रेम की
जिसमे कोई उम्र की सीमा ना हो

मे तलाश मे हू उस प्रेम की
जिसमे कोई रोक टोक ना हो

मे तलाश मे हू उस प्रेम की
जिसमे कोई तिरस्कार ना हो

मे तलाश मे हू उस प्रेम की
जिसमे बुद्धि का उपयोग ना हो

मे तलाश मे हू उस प्रेम की
जिसमे हिर्दय दुःखित ना हो

मे तलाश मे हू उस प्रेम की
जिसमे हम हो , तुम ना हो ।
2
क्या यह मिलना संभव है ?
अगर हाँ, तो मे जागूँगा रातो को

क्या यह मिलना संभव हैं ?
मे तलाश करूंगा तुम्हे हर उस जगह को

क्या यह मिलना संभव है ?
सर्वस्व अपना अर्पण करदूंगा तुम को

क्या यह मिलना संभव हैं ?
मेरा खुला निमंत्रण है हर निराश इंसान को।
3
क्यो की मे जिना चाहता हु
दर्द के साथ हाँ कुछ लम्हा तुम्हारे साथ

क्यों की मे जिना चाहता हु
तुम्हारे किए उन समजोतो के साथ

क्यों की मे जिना चाहता हु
देखना चाहता हु लाचारी को तुम्हारे साथ

क्यों की मे जिना चाहता हु
अपना बचपन अनगिनत गलतियों के साथ

क्यों की मे जिना चाहता हू
मे तलाश मे हु उस प्रेम की
क्या यह मिलना संभव हैं?

सोज़ की कलम से कुछ नया
© jitensoz