...

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वो क्या था?
ये बात नहीं के दिल
सिर्फ!
तुम पे ही मरता है,
हसिनाऐं तो बहुत है
बस!
तुम्हें देखकर ज़रा
ते...…ज धड़कता है।

सांसें सहम सी जाती है
आवाज़ भी कसमसाती है,
अंदाज़-ए-बयां बदल जाते हैं
जब भी हम-तुम क़रीब आते हैं।

ऐसा क्यों होता है?
क्या तुमने कभी सोचा है?
फुर्सत में कभी दिल टटोलना

वो क्या था?

जो दोनों चाहते थे बोलना।
वो क्या था?

दिनेश चौधरी 'फ़नकार'