तुम्हारा छोड़ कर जाना
मिल गए थे मुझे किसी हादसे में तुम
कहीं कोने में धूप निखरी सी थी
चटक के टूट गयी थी कहीं इतर की शीशी
इश्क जैसी खुशबू हवाओं में बिखरी सी थी
उस हादसे की यादें सारी सदमे सी हैं
उन सदमों से अब तलक हम उभर ना सकें
न जाने कितने ही अरसे गुजरते चले गए
वक़्त भी उन जख्मों अब तलक भर ना सकें
तुम्हारा होना भी कुछ अच्छा तो नहीं था
पर कुछ तो था वो जो इबादत सा था
घुटन सी होती थी तेरी मौजूदगी में हर वक़्त
पर तुम्हारा छोड़ कर जाना क़यामत सा था
© Shweta Rao
कहीं कोने में धूप निखरी सी थी
चटक के टूट गयी थी कहीं इतर की शीशी
इश्क जैसी खुशबू हवाओं में बिखरी सी थी
उस हादसे की यादें सारी सदमे सी हैं
उन सदमों से अब तलक हम उभर ना सकें
न जाने कितने ही अरसे गुजरते चले गए
वक़्त भी उन जख्मों अब तलक भर ना सकें
तुम्हारा होना भी कुछ अच्छा तो नहीं था
पर कुछ तो था वो जो इबादत सा था
घुटन सी होती थी तेरी मौजूदगी में हर वक़्त
पर तुम्हारा छोड़ कर जाना क़यामत सा था
© Shweta Rao