...

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" मां के लिए पैगाम ले जाओ "
बहती हवाओं गाँव बैठी माँ के लिए पैगाम ले जाओ,
कर्ज़ चुका चले उसके लाल चरणों में सलाम ले जाओ।

गम न करे माँ कहना लाल ने सीने पे गोली खायी है,
छाती तान कर किया युद्ध भारत की लाज बचाई है,
होगा यकीन खून से लिपटी मिट्टी में अंजाम ले जाओ।

लाल जोड़े में सजी हुई कहीं मेरी सुहागन बैठी होगी,
पत्नी बच्चों के सँग बनी हुई कोई अभागन बैठी होगी,
उसको कहना गर्व करे वो याद में बीती शाम ले जाओ।

घरवालों को समझाकर कहना बेटा अलविदा हो चला,
गाँव की मिट्टी चूमके कहना आज उससे जुदा हो चला,
निचोड़ लहू से बीती यारों के सँग यादें तमाम ले जाओ।

माँ मेरी ना रोयेगी उसका बेटा अपने परदेस चला,
लहू बहाकर देश की खातिर देके ये उपदेश चला,
बनाये मेरे बेटे को सैनिक मेरी बीवी से ये कहना,
सुनी रहेगी मांग न उसकी शहादत मेरी अब गहना,
दिल में उमंगे और लबों पे जय हिंद नाम ले जाओ।