दुनिया में रहना पड़ता है
दुनिया में रहना पड़ता है
फिर सब कुछ सहना पड़ता है
भूले तो नहीं हैं उस को हम
पर ऐसा कहना पड़ता है
दिलकश लौ हो, तुम को क्या है
मज्ज़ूब को दहना पड़ता है
ये होता है इश्क़ में जीना
फिर मरते रहना पड़ता है
याद-ए-रफ़्ता ख़ूब है ‘लेखक’
पर चलते रहना पड़ता है
© Lekhak Suyash
#lekhaksuyash
फिर सब कुछ सहना पड़ता है
भूले तो नहीं हैं उस को हम
पर ऐसा कहना पड़ता है
दिलकश लौ हो, तुम को क्या है
मज्ज़ूब को दहना पड़ता है
ये होता है इश्क़ में जीना
फिर मरते रहना पड़ता है
याद-ए-रफ़्ता ख़ूब है ‘लेखक’
पर चलते रहना पड़ता है
© Lekhak Suyash
#lekhaksuyash