...

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इंसान
हे ईश्वर, ये तूने कैसे इंसान बनाये

कहने को तो सबसे बुद्धिमान प्राणी कहलाये

पर ये कैसी बुद्धिमता, इक - दूजे पर ही कहर बरसाए

इंसा होकर इंसान के खून से अपनी प्यास बुझाये!

तुने तो एक हरा - भरा संसार बनाया

इस मानव को सर्वोच्च पद दिलाया

पर देख, क्या उपयोग किया है इसने तेरी इस बुद्धि का

इस शक्ति का, गोले बारूद का

धरती को है ढेर बनाया

क्या यही है तेरी सर्वश्रेष्ठ कृति?

दुनिया को जिसने सौ - सौ धर्मों में बांटा

अपना धर्म तो लगे फूल, दूसरों का चुभता काँटा

इन्ही धर्मों के सायों में

पल रहा आज आतंक है

इसलिए तो, अमेरिका जैसा राजा भी रंक है।

कहाँ गए पटेल जैसे अहिंसा के अनुयायी

क्या वैसे इंसान बनाना भूल गयी तेरी खुदायी?

न जाने क्या थी शरुआत

पर सर्वनाश ही होगा अंत

क्यों नही दिखती तुझे कल की तस्वीरें

क्यों हैं तेरी आँखें बंद?

अब दूर नही वो दिन

जब उजड़ जाएगा यह चमन, रह जायेगी बस धूल

पछताता तो तू भी होगा

कि कैसे हो गयी मुझसे इतनी बड़ी भूल

कैसे हो गयी मुझसे इतनी बड़ी भूल!!