...

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मयस्सर नही अदब...
मयस्सर नहीं अदब, जहां आदमी के कद को।
बराय छोड़ देना, उस शहर के सरहद को।
जलना मोहाल होता चरागे लौ का पलभर,
जहां हवा न होती या तोड़ी जाती हद को।
--"प्यासा"
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