ग़ज़ल
है नहीं कोई हम-नशीन मेरा
या'नी चेहरा नहीं हसीन मेरा
छीन बैठा है मेरी हस्ती को
दर-ओ-दीवार तो न छीन मेरा
कर रहे हो जो प्यार की बातें
चूमने आए हो ज़बीन मेरा ?
कोई दे दे मिरे वजूद को दर
कोई कर ले ज़रा यक़ीन मेरा
आप ख़ुद में ही इक तमाशा हूँ
और मैं ख़ुद तमाश-बीन मेरा !
© हर्ष
या'नी चेहरा नहीं हसीन मेरा
छीन बैठा है मेरी हस्ती को
दर-ओ-दीवार तो न छीन मेरा
कर रहे हो जो प्यार की बातें
चूमने आए हो ज़बीन मेरा ?
कोई दे दे मिरे वजूद को दर
कोई कर ले ज़रा यक़ीन मेरा
आप ख़ुद में ही इक तमाशा हूँ
और मैं ख़ुद तमाश-बीन मेरा !
© हर्ष