एक तारा-2
एक तारा जो था टूट गया,
लगा था साथ अब छूट गया,
असल में वो सब भ्रांति थी,
उस कुटिल समय की क्रान्ति थी!
वो तारा फिर से चमका है,
निश्छल प्रेम से दमका है,
पहले से अधिक सुन्दर और प्यारा,
वियोग ने उसको कुछ यूं है निखारा!
काली घटा ने उसको घेरा था,
चारों तरफ अँधेरा था,
फिर प्रेम का सूर्य उदय हुआ,
फिर एक हमारा हृदय हुआ!
वचन है अब ना खोने दूंगा,
व्यथा में अब ना रोने दूंगा,
अब हम एक दूजे का सहारा हैं,
मैं तेरा आकाश और तू मेरा एक तारा है!
© Shivaay
लगा था साथ अब छूट गया,
असल में वो सब भ्रांति थी,
उस कुटिल समय की क्रान्ति थी!
वो तारा फिर से चमका है,
निश्छल प्रेम से दमका है,
पहले से अधिक सुन्दर और प्यारा,
वियोग ने उसको कुछ यूं है निखारा!
काली घटा ने उसको घेरा था,
चारों तरफ अँधेरा था,
फिर प्रेम का सूर्य उदय हुआ,
फिर एक हमारा हृदय हुआ!
वचन है अब ना खोने दूंगा,
व्यथा में अब ना रोने दूंगा,
अब हम एक दूजे का सहारा हैं,
मैं तेरा आकाश और तू मेरा एक तारा है!
© Shivaay