मेहनत और यकीन।
रुका तो मैं जब, रुक कर मैं जब सुनने लगा
बहते झरने को ठोकर क्या फिर पत्थर क्या।
जो हर वक़्त निखरना जानते है फिर क्या गम
उड़ते...
बहते झरने को ठोकर क्या फिर पत्थर क्या।
जो हर वक़्त निखरना जानते है फिर क्या गम
उड़ते...