...

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Akela pan
इसी उम्र में आकर
आदमी हो जाता है अकेला
जिनके साथ शुरू किया होता है चलना
खो जाते हैं वे लोग कहीं न कहीं
सिर्फ़ भीड़ ही चलती है साथ-साथ

जहाँ तक दिखता है
लोग ही लोग नज़र आते हैं
पर नहीं दिखता है
कोई भी चेहरा

किसका हाथ लेकर चले
अपने हाथों में
किसके क़दमों से क़दम मिलाकर चले
ख़ुशी से किसे भींचे अपने सीने में
किसके कन्धों पर सिर रखकर रोए
किसको दे सहारा पकड़कर उँगलियाँ
किसके साथ पार करे यह चौराहा
किसके साथ बैठकर दो घड़ी सुस्ताए
इसी उम्र मेम आकर
आदमी हो जाता है अकेला
© writer satyam mishra