...

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बेटा मेरा नाम किया
❤️🌹❤️🌹❤️🌹❤️
शहरी छोरा गोरा मनहर,
था मुस्काता चला गया।
शाम ढले जब पहुंची घर,
बेचैनी कुछ बढ़ा गया।।

राते करबट बदल - बदलकर,
चिंतन में ही बीता लिया।
सपना शायद था सुन्दर,
मन ही मन मै मान लिया।।

प्यार में पागल बना दिया,
हंसना - रोना छीन लिया।
मैं भी आखिर क्या करती,
मम्मी - मम्मी बोल गया।।

इम्तहान में बेहतर करके,
खुशी - झूमता लौट गया।
सपना तो सच किया ही मेरा,
खानदान का नाम किया।।
❤️ डॉ अमृता, समस्तीपुर ❤️
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