ज़िंदा !
यह ज़िंदगी बुरा सपना है, टूट जाएगा
इक हसीं ख़्वाब भी है, छूट जाएगा
क्या साथ लाया था तू, क्या ले जाएगा
यहीं हँसा यहीं रोया, यहीं पाया यहीं खोया
इक माँ की कोख से, जी उठा मुद्दत से
मरके दूजी की गोद, सोने चला जायेगा
रोता क्यों है पगले, कब तक खैर...
इक हसीं ख़्वाब भी है, छूट जाएगा
क्या साथ लाया था तू, क्या ले जाएगा
यहीं हँसा यहीं रोया, यहीं पाया यहीं खोया
इक माँ की कोख से, जी उठा मुद्दत से
मरके दूजी की गोद, सोने चला जायेगा
रोता क्यों है पगले, कब तक खैर...