...

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खुद का जुगनू बनना है।
आसान कहाँ होता है
गिरते है संभलते है
फिर उठ जाते है
हम पंतगे है जनाब
आग से थोड़ी डरते है
पता होता है
जल जायेगे वो कहेंगे नहीं होगा
आग के पास जाकर फिर क्यों
फिर भी मुक्ति के वो मुझसे
खातिर जलते है
दिल मे जूनून भरते है मेरी मुस्कान
को क्यो वो
बस माया बताते
फिर क्यो वो
छिपकर देखते है
मेरे आँसू
जब वो मेरा
होंसला नही बढ़ाते
हाँ खुद करना
पड़ता है
पैर मे छाले
हो या आँख
मे आँसू
जुगनू बनकर
खुद ही
चमकना पड़ता है।
हाँ खुद ही
संभलना पड़ता है।
© 🦋⃟𝕾hivـــ٨ﮩﮩ❤️ﮩﮩ٨ــ🦋⃟⃟𝕾hakti