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कुछ बात करते हैं
आओ इस सर्द सुबह से मुलाकात करते हैं
थाम कर चाय का प्याला आपस में कुछ बात करते हैं
उड़ती हुई गर्म भाप से खोल लें मन की सलवटें
दबे हैं जो मन में जाने कब से बयाँ वो जज़्बात करते हैं
बिछ गई थी रिश्तों पर जो बर्फ़ तुम्हारी मेरी चुप्पी से
मीठी बातों की धूप से उन पर गुनगुनी बरसात करते हैं
कड़वी यादों को छोड़कर प्याली की तलहटी में
आने वाले जीवन की खूबसूरत शुरुआत करते हैं
जो फिर भी न बात बने किसी तरह ए दोस्त
तो बन कर हमप्याला खत्म ये फ़साद करते हैं
माना कि बड़ा वक़्त गया इस पुराने झगड़े में
चला कर नया दौर चाय का खुशियों की सौगात करते हैं
पूनम अग्रवाल
© All Rights Reserved
थाम कर चाय का प्याला आपस में कुछ बात करते हैं
उड़ती हुई गर्म भाप से खोल लें मन की सलवटें
दबे हैं जो मन में जाने कब से बयाँ वो जज़्बात करते हैं
बिछ गई थी रिश्तों पर जो बर्फ़ तुम्हारी मेरी चुप्पी से
मीठी बातों की धूप से उन पर गुनगुनी बरसात करते हैं
कड़वी यादों को छोड़कर प्याली की तलहटी में
आने वाले जीवन की खूबसूरत शुरुआत करते हैं
जो फिर भी न बात बने किसी तरह ए दोस्त
तो बन कर हमप्याला खत्म ये फ़साद करते हैं
माना कि बड़ा वक़्त गया इस पुराने झगड़े में
चला कर नया दौर चाय का खुशियों की सौगात करते हैं
पूनम अग्रवाल
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