...

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शिव हैं!
सत्य का आकार शिव हैं,
सृष्टि का विस्तार शिव हैं,
झूमती है प्रकृति जिस पर,
वो मधुर झनकार शिव हैं!

युद्ध की हुंकार शिव हैं,
शांति का आधार शिव हैं,
यूँ तो वो मूंदे हैं लोचन,
पर देखते संसार शिव हैं!

विष ना जिनको छू सका,
वो अमर अविकार शिव हैं,
करते हैं पावन सभी को,
गंगा की हर धार शिव हैं!

कल्पना जिसकी करूँ मैं,
वो पूर्ण साक्षात्कार शिव हैं,
गिरता हूँ जब जब मैं पथ पर,
थामते हर बार शिव हैं!
© Shivaay