...

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ख़ामोश पगडंडीयो पर चला जा रहा हूँ !!
उलझी जिंदगी को खुद ही सुलझा रहा हूं
या खुद ही खुद मे उलझता जा रहा हूँ
विचारों की कसमकस में खोए हुये
ख़ामोश पगडण्डियो पर चला जा रहा हूँ !!

याद जैसे कांटों से चुभ रहे हैं
दिये उम्मीदों के सारे बुझ रहे हैं
बीते कल का आईना दिखला रहा हूं
ख़ामोश पगडंडीयो पर चला जा रहा हूँ !!

किसी रोज़ कोई रोशनी दिख जाएगी
सूखे पौधों में कली खिल जाएगी
बस खुद को यही समझा रहा हूँ
ख़ामोश पगडंडीयो पर चला जा रहा हूँ !!


© shiveshpatel